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A Unique Liquid-Mirror Telescope sees its first light in the Indian Himalayas

Posted On: 02 JUN 2022 4:57PM by PIB Delhi

A new telescope facility atop a mountain in the Himalayan range will now keep a watch on the overhead sky to identify transient or variable objects such as supernovae, gravitational lenses, space debris, and asteroids.

The telescope, commissioned at Devasthal, a hill in Uttarakhand, will help in surveying the sky making it possible to observe several galaxies and other astronomical sources just by staring at the strip of sky that passes overhead. It is the first liquid mirror telescope in the country and the largest in Asia.

Built by astronomers from India, Belgium, and Canada, the novel instrument employs a 4-meter-diameter rotating mirror made up of a thin film of liquid mercury to collect and focus light. It is located at an altitude of 2450 meters at the Devasthal Observatory campus of Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences (ARIES), an autonomous institute under the Department of Science and Technology (DST), Govt. of India in Nainital district, Uttarakhand.

The scientists from the three countries spun a pool of mercury which is a reflective liquid so that the surface curved into a parabolic shape which is ideal for focusing light. A thin transparent film of mylar protects the mercury from the wind. The reflected light passes through a sophisticated multi-lens optical corrector that produces sharp images over a wide field of view. A large-format electronic camera located at the focus records the images. Prof. Paul Hickson (University of British Columbia, Canada), an expert on liquid mirror technology, said that “the rotation of the earth causes the images to drift across the camera, but this motion is compensated electronically by the camera. This mode of operation increases observing efficiency and makes the telescope particularly sensitive to faint and diffuse objects.”

“ILMT is the first liquid-mirror telescope designed exclusively for astronomical observations installed at the Devasthal Observatory of ARIES,” said Prof. Dipankar Banerjee, Director, ARIES. Prof. Banerjee mentioned that Devasthal Observatory now hosts two four-meter class telescopes – the ILMT and the Devasthal Optical Telescope (DOT). Both are the largest aperture telescopes available in the country. Prof. Banerjee is also enthusiastic about the application of Big Data and Artificial Intelligence/Machine Learning (AI/ML) algorithms that will be implemented for classifying the objects observed with the ILMT. He stated, “I am hopeful that this project will attract and motivate several young minds from scientific and engineering backgrounds to take up challenging problems.”

“The wealth of data generated with the ILMT survey will be exemplary. In the future, several young researchers will be working on different science programs utilizing the ILMT data,” said Dr. Kuntal Misra, who is the Project Investigator of ILMT at ARIES. “When regular science operations begin later this year, the ILMT will produce about 10 GB of data every night, which will be quickly analyzed to reveal variable and transient stellar sources,” said Dr. Brajesh Kumar, ILMT Project Scientist at ARIES. The 3.6 metre DOT, with the availability of sophisticated back-end instruments, will allow rapid follow-up observations of the newly-detected transient sources with the adjacent ILMT.

“The data collected from ILMT will be ideally suited to perform a deep photometric and astrometric variability survey over a period of typically 5 years,” notes Project Director Prof. Jean Surdej (University of Liège, Belgium and the University of Poznan, Poland).

 

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Figure 1: A panoramic view of the Devasthal Observatory campus of ARIES at Nainital, Uttarakhand.

 

The ILMT collaboration includes researchers from ARIES in India, the University of Liège and the Royal Observatory of Belgium in Belgium, Poznan Observatory in Poland, the Ulugh Beg Astronomical Institute of the Uzbek Academy of Sciences and the National University of Uzbekistan in Uzbekistan, the University of British Columbia, Laval University, the University of Montreal, the University of Toronto, York University and the University of Victoria in Canada. The telescope was designed and built by the Advanced Mechanical and Optical Systems (AMOS) Corporation and the Centre Spatial de Liège in Belgium.

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Figure 2: Top view of the ILMT located at the Devasthal Observatory of ARIES showing the liquid mercury mirror covered by a thin mylar film.

 

Figure 3: A colour composite photograph of a small portion of the sky observed with the ILMT through the g, r, and i Sloan filters. NGC 4274 Galaxy can be seen in the top right corner.

 

Source: https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1830501

 

भारत में पहली बार एक अनोखे लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप को हिमालय की पहाड़ी पर लगाया गया

हिमालय पर्वत श्रेणी में पहाड़ के ऊपर एक नई टेलिस्कोप सुविधा अब सुपरनोवा, गुरुत्वाकर्षण लेंस, अंतरिक्ष मलबे और क्षुद्रग्रहों जैसी क्षणिक या परिवर्तनशील वस्तुओं की पहचान करने के लिए ऊपरी आकाश पर नजर रखेगी।

इस टेलिस्कोप को उत्तराखंड स्थित एक पहाड़ी देवस्थल पर लगाया गया है। यह आकाश का सर्वेक्षण करने में सहायता करेगा, जिससे ऊपर से गुजरने वाली आकाशपट्टी को देखकर कई आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय स्रोतों का अवलोकन करना संभव हो जाएगा।

यह देश का पहला और एशिया का सबसे बड़ा लिक्विड मिरर (तरल दर्पण) टेलिस्कोप है। भारत, बेल्जियम और कनाडा के खगोलविदों द्वारा निर्मित यह नया उपकरण में प्रकाश को इकट्ठा करने और फोकस करने के लिए तरल पारा की एक पतली फिल्म से बना एक 4 मीटर व्यास का घूर्णन दर्पण लगाया हुआ है। यह आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के देवस्थल वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक स्वायत्त संस्थान है।

तीनों देशों के वैज्ञानिकों ने पारा का एक कुंड बनाया है, जो एक परावर्तक तरल है। इसके चलते सतह एक परवलयिक आकार में घुमावदार हो जाती है, जो प्रकाश को केंद्रित (फोकस) करने के लिए आदर्श स्थिति है। मायलर की एक पतली पारदर्शी फिल्म पारा को हवा से बचाती है। परावर्तित प्रकाश एक परिष्कृत मल्टी-लेंस ऑप्टिकल शोधक से होकर गुजरता है, जो देखने के विस्तृत क्षेत्र में तेज छवियां उत्पन्न करता है। फोकस पर स्थित एक बड़े प्रारूप वाला इलेक्ट्रॉनिक कैमरा छवियों को रिकॉर्ड करता है। लिक्विड मिरर तकनीक के विशेषज्ञ प्रो. पॉल हिक्सन (ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय- कनाडा) ने कहा कि “पृथ्वी के घूमने से चित्र पूरे कैमरे में आ जाते हैं, लेकिन इस गति की भरपाई कैमरे द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से की जाती है। संचालन का यह तरीका देखने की दक्षता में बढ़ोतरी करता है और दूरबीन को विशेष रूप से धुंधले और विस्तृत वस्तुओं को लेकर संवेदनशील बनाता है।”

एआरआईईएस के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने कहा, “आईएलएमटी, पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप है, जिसे विशेष रूप से एआरआईईएस के देवस्थल वेधशाला में स्थापित खगोलीय अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है। प्रो. बनर्जी ने इसका उल्लेख किया कि देवस्थल वेधशाला के पास अब दो चार मीटर श्रेणी के दूरबीनों – आईएलएमटी और देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी) है। ये दोनों भारत में उपलब्ध सबसे बड़े एपर्चर टेलीस्कोप हैं। प्रो. बनर्जी बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग को लेकर भी उत्साहित हैंजिन्हें आईएलएमटी के साथ देखी गई वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह परियोजना वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के कई युवा मस्तिष्कों को चुनौतीपूर्ण समस्याओं को लेने के लिए आकर्षित व प्रेरित करेगी।”

एआरआईईएस में आईएलएमटी के परियोजना अन्वेषक डॉ. कुंतल मिश्रा ने कहा, आईएलएमटी सर्वेक्षण से उत्पन्न डेटा संपत्ति अनुकरणीय होगी। भविष्य में कई युवा शोधकर्ता आईएलएमटी डेटा का उपयोग करते हुए विभिन्न विज्ञान कार्यक्रमों पर काम करेंगे।”  एआरआईईएस में आईएलएमटी के परियोजना वैज्ञानिक डॉ. ब्रजेश कुमार ने कहा, जब इस साल के अंत में नियमित विज्ञान परिचालन शुरू होगातो आईएलएमटी हर रात लगभग 10 जीबी डेटा का उत्पादन करेगाजिसका विश्लेषण वेरिएबल (चर) और क्षणिक तारकीय स्रोतों को प्रकट करने के लिए किया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि परिष्कृत बैक-एंड उपकरणों की उपलब्धता के साथ 3.6 मीटर डीओटीनजदीकी आईएलएमटी के साथ नए खोजे गए क्षणिक स्रोतों के तेजी से अनुवर्ती अवलोकन की सुविधा देगा।

इस परियोजना निदेशक प्रो. जीन सुरदेज (लीज विश्वविद्यालय, बेल्जियम और पॉज्नैन विश्वविद्यालय, पोलैंड) ने कहा, “आईएलएमटी से एकत्र किए गए डेटा आम तौर पर 5 वर्षों की अवधि में एक गहन फोटोमेट्रिक और एस्ट्रोमेट्रिक परिवर्तनशीलता सर्वेक्षण करने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल होगा.”

आईएएमटी सहभागिता में भारत के एआरआईएस, बेल्जियम स्थित लीज विश्वविद्यालय व बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉजनैन वेधशाला, उज्बेकिस्तान स्थित उज्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ  उज्बेकिस्तान का राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लावल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा स्थित विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं। इस टेलीस्कोप की डिजाइन और विकास बेल्जियम में एडवांस्ड मैकेनिकल और ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) कॉर्पोरेशन और सेंटर स्पैटियल डी लीज ने किया था।

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