टर्म इंश्योरेंस खरीदना 30 फीसदी तक महंगा होगा, अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं कंपनियां

टर्म इंश्योरेंस खरीदना 30 फीसदी तक महंगा होगा, अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं कंपनियां

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टर्म इंश्योरेंस खरीदना 30 फीसदी तक महंगा होगा, अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं कंपनियां.

टर्म इंश्योरेंस खरीदना एक बार फिर महंगा हो सकता है। बीमा कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम में 25% से 30% की बढ़ोतरी की तैयारी में है। बीमा कंपनियों से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।  मिली जानकारी के अनुसार आठ से 10 कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम में इस साल के अंत से बढ़ोतरी की योजना बनाई है। इस बार प्रीमियम में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

वहीं, पहले से लिए टर्म प्लान के प्रीमियम पर कंपनियों ने 30% से 40% की बढ़ोतरी कर दी है। गौरतलब है कि इससे पहले भी बीमा कंपनियों ने मार्च में पॉलिसी की नवीकरण पर चार से पांच फीसदी अधिक प्रीमियम वसूला था। इस तरह एक साल में दूसरी बार बीमा कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमिमय में बढ़ोतरी करने जा रही है।

क्यों महंगा हो रहा टर्म इंश्योरेंस

टर्म इंश्योरेंस महंगा होने के बारे में बीमा कंपनियों का कहना है कि उन पर री-इंश्योरेंस कंपनियों का बेहद दबाव है। यही वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियों को प्रीमियम का पैसा बढ़ाना पड़ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि री-इंश्योरेंस की अंडरराइटिंग में सख्ती बरती गई है, जिससे इंश्योरेंस महंगा हो रहा है। कुछ अन्य जो बदलाव हो सकते हैं, उनमें बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं। अभी तक ऐसे कागजात नहीं मांगे जा रहे थे। कंपनियां मेडिकल चेकअप के शर्तों को भी सख्त कर सकती हैं।

कोरोना के चलते जोखिम बढ़ा

इंश्योरेंस अंडरराइटिंग के आधार पर इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करती हैं। अंडरराइटिंग में जितना जोखिम होगा, प्रीमियम उतना ही महंगा हो सकता है। कोरोना महामारी के चलते जोखिम बढ़ा है। इसलिए कंपनियों का कहना है कि उनके पास प्रीमियम बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। गौरतलब है कि कोरोना से हुए लाखों लोगों की आकस्मिक मौत के कारण बीमा कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। इसको देखते हुए बीमा कंपनियों ने प्रीमियम में बढ़ोतरी का फैसला किया है।

Source:

नई दिल्ली,
(अपडेटेड Fri, 01 Oct 2021 11:24 AM)

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कोरोना से मौत के मामलों में सिर्फ 14% के पास था बीमा, इलाज में खत्म हुई लोगों की जमापूंजी

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कोरोना से मौत के मामलों में सिर्फ 14% के पास था बीमा, इलाज में खत्म हुई लोगों की जमापूंजी

देश में कोरोना से अब तक करीब 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इसमें से बीमा कवर मात्र 14% के पास ही था

देश में बीमा कवरेज का क्या हाल है इसका अंदाजा आपको कोरोना से मौत के मामलों में किए गए क्लेम से लग सकता है. देश में कोरोना से अब तक करीब 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इसमें से बीमा कवर मात्र 14% के पास ही था. वहीं कोरोना के इलाज में लोगों ने अपनी जीवनभर की बचत, जमा पूंजी, जमीन-जायदाद और गहने तक बेच दिए

55,276 लोगों को मिला बीमा क्लेम

देश में कोरोना से अब तक 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें से सिर्फ 55,276 मौतों के लिए ही बीमा क्लेम किया गया. यानी कोरोना से हुई मौत के करीब 14% मामलों में ही बीमा क्लेम किया गया. ये देश में बीमा कवरेज की हालात बयां करने के लिए काफी है.

3,593 करोड़ रुपये के क्लेम सेटल

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की सदस्य (गैर-जीवन बीमा) एल. अलामेलू का कहना है कि सभी बीमा कंपनियों के पास कोविड से मौत के कुल 55,276 क्लेम आए, इसमें से करीब 88% यानी 48,484 मामलों में 3,593 करोड़ रुपये के क्लेम को सेटल किया जा चुका है.

हेल्थ इंश्योरेंस में 15,000 करोड़ के क्लेम

वहीं दूसरी तरफ हेल्थ इंश्योरेंस कैटेगरी में 22 जून तक कंपनियों को 19.11 लाख क्लेम हासिल हुए. इसमें से करीब 80% यानी 15.39 लाख से अधिक 15,000 करोड़ रुपये के बीमा दावों का निपटारा किया जा चुका है. ये दावे मेडिकल इंश्योरेंस या हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े हैं.

मात्र 4% दावे हुए खारिज

हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में मात्र 4% और जीवन बीमा के मामले में मात्र 0.66% दावे ही खारिज हुए. ये लगभग नगण्य स्थिति है.

खत्म हुई जीवनभर की बचत

अलामेलू कहती हैं कि एक तरफ देश में कोरोना से मौत के मामलों के इतने कम दावे आए. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के इलाज में लोगों की जीवनभर की बचत खत्म हो गई, गहने, जमीन-जायदाद बिक गए. इसमें गरीबी रेखा से नीचे वाले लोग भी शामिल हैं.

ऐसे में ये दिखाता है कि देश में बीमा उत्पादों की कितनी जरूरत है. और बीमा कंपनियों के पास कितना बड़ा अवसर है.

अलामेलू का कहना है कि बीमा उद्योग और नियामक दोनों ने इस मुश्किल वक्त की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसियां डिजाइन कीं. यहां तक कि पॉलिसी धारकों के लिए कुछ प्रक्रियाओं को भी आसान किया गया.

बीते साल हेल्थ और जीवन बीमा को मिलाकर इंश्योरेंस सेक्टर ने 9% की ग्रोथ दर्ज की थी, जबकि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में ये 17% है.

कंपनियां बरत रही सावधानी

लेकिन जैसे-जैसे देश में कोरोना की मौतों की संख्या बढ़ रही हैं. बीमा कंपनियां नए बीमा देने को लेकर चौकन्नी हो गई हैं. वो ग्राहकों से वैक्सीन प्रमाणपत्र और मेडिकल चेक-अप जैसी जानकारियां मांग रही हैं.

 

Source:

नई दिल्ली,
25 जून 2021,
(अपडेटेड 25 जून 2021, 7:00 PM IST)

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