LIC Jeevan Umang Policy : मात्र 1302 रु के मासिक प्रीमियम पर 27.60 लाख रुपये मिल रहे हैं

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LIC Jeevan Umang Policy :

LIC पॉलिसी मात्र 1302 रु के मासिक प्रीमियम पर 27.60 लाख रुपये मिल रहे हैं

 

LIC Jeevan Umang Policy : देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (insurance company LIC) के आईपीओ की चर्चा इन दिनों जोरों पर है. हर कोई इसमें निवेश कर मोटी रकम कमाने का मौका ढूंढ रहा है। लेकिन आप चाहें तो एलआईसी (LIC) की कुछ खास स्कीमों में पैसा लगाकर मोटी कमाई कर सकते हैं और साथ ही अपना और अपने परिवार का भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं. आइए आज हम आपको एलआईसी की ऐसी ही एक खास पॉलिसी के बारे में बताते हैं।

एलआईसी जीवन उमंग पॉलिसी (LIC Jeevan Umang Plan) एक बंदोबस्ती योजना है, जिसमें आपको बीमा के साथ परिपक्वता राशि मिलती है। आइए जानते हैं इस पॉलिसी के बारे में।

एलआईसी जीवन उमंग पॉलिसी एक बंदोबस्ती योजना है

जीवन उमंग नीति (Jeevan Umang Plan) कई मायनों में अन्य योजनाओं से अलग है। 90 दिन से लेकर 55 साल तक के लोग इस पॉलिसी को ले सकते हैं। यह एक बंदोबस्ती योजना है। इसमें लाइफ कवर के साथ मैच्योरिटी पर एकमुश्त रकम मिलती है। मैच्योरिटी के बाद हर साल आपके खाते में फिक्स्ड इनकम आएगी। वहीं, पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके परिवार के सदस्यों और नॉमिनी को एकमुश्त राशि मिलेगी। इस योजना की एक और विशेषता यह है कि यह 100 साल तक की कवरेज प्रदान करती है।

इस तरह 27.60 लाख की राशि प्राप्त होगी

अगर कोई व्यक्ति इस पॉलिसी में हर महीने 1302 रुपये का प्रीमियम देता है। तो एक साल में वह राशि 15,298 रुपये है। अगर यह पॉलिसी 30 साल बाद चलाई जाती है तो नेट अमाउंट करीब 4.58 लाख रुपए हो जाता है। कंपनी आपके निवेश पर 31वें साल से आपको हर साल 40 हजार का रिटर्न देना शुरू कर देती है। अगर आप 31 साल से लेकर 100 साल तक सालाना 40 हजार का रिटर्न लेते हैं तो आपको करीब 27.60 लाख रुपये मिलते हैं.

पॉलिसीधारक को टर्म राइडर का भी लाभ मिलता है

इस पॉलिसी (LIC Jeevan Umang Policy) के तहत, निवेशक की आकस्मिक मृत्यु या विकलांगता के मामले में टर्म राइडर बेनिफिट भी उपलब्ध है। यह नीति बाजार जोखिम से प्रभावित नहीं है। इस पॉलिसी पर निश्चित रूप से एलआईसी (LIC) के लाभ और हानि का प्रभाव पड़ता है। इस पॉलिसी (Jeevan Umang Policy) को लेने पर इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। अगर कोई जीवन उमंग पॉलिसी का प्लान (LIC Jeevan Umang Scheme) लेना चाहता है तो उसे कम से कम दो लाख रुपए का बीमा लेना होगा।

एलआईसी जीवन उमंग की विशेषताएं

नीचे उल्लिखित एलआईसी जीवन उमंग योजना (LIC Jeevan Umang Policy) की प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • यह नियमित आय और एकमुश्त भुगतान दोनों का एक संयोजन है।
  • 15 साल, 20 साल, 25 साल या 30 साल की प्रीमियम भुगतान अवधि चुनने का विकल्प प्रदान करता है।
  • यह मुनाफे के साथ एक गैर-लिंक्ड जीवन बीमा योजना है।
  • पॉलिसीधारक के 100 वर्ष के होने तक जीवन बीमा प्रदान करता है।
  • यदि पॉलिसी धारक ने नियमित रूप से 3 वर्षों के लिए प्रीमियम का भुगतान किया है और यदि योजना एक समर्पण
  • मूल्य पर पहुंच गई है, तो समर्पण मूल्य के 90% तक ऋण सुविधा प्रदान करता है।
  • एलआईसी जीवन उमंग प्लान (LIC Jeevan Umang Policy) एक साधारण प्रत्यावर्ती बोनस के साथ-साथ अंतिम अतिरिक्त बोनस प्रदान करता है यदि कोई हो।

जीवन उमंग योजना के लाभ

एलआईसी जीवन उमंग योजना (LIC Jeevan Umang Policy) नीचे बताए अनुसार कई लाभ प्रदान करती है:

मृत्यु लाभ: जोखिम शुरू होने की तारीख से पहले बीमित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में, एलआईसी नामांकित व्यक्ति को ब्याज के बिना भुगतान किए गए सभी प्रीमियम वापस कर देगा। हालांकि, अगर जोखिम शुरू होने की तारीख के बाद पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है, तो एलआईसी (LIC) नामांकित व्यक्ति को बीमा राशि की पेशकश करेगा। इसमें साधारण प्रत्यावर्ती बोनस के साथ-साथ अंतिम अतिरिक्त बोनस भी शामिल होगा यदि कोई हो।

परिपक्वता लाभ: पॉलिसी (Policy) की परिपक्वता के मामले में, यदि सभी प्रीमियमों का भुगतान नियमित रूप से किया गया है, तो बीमा कंपनी साधारण प्रत्यावर्ती बोनस के साथ-साथ अंतिम अतिरिक्त बोनस यदि कोई हो, के साथ बीमित राशि का भुगतान करती है।

उत्तरजीविता लाभ: यदि बीमित व्यक्ति पॉलिसी (LIC Policy) भुगतान अवधि तक जीवित रहता है, तो गारंटीकृत उत्तरजीविता लाभ के रूप में हर साल बीमित राशि का 8% भुगतान किया जाता है। इस लाभ का भुगतान योजना की परिपक्वता या बीमित व्यक्ति की मृत्यु, जो भी पहले हो, तक किया जाता है।

ऋण: एलआईसी जीवन उमंग (LIC Jeevan Umang)आपके द्वारा पॉलिसी अवधि के 3 वर्ष पूरे करने पर और यदि प्रीमियम का नियमित रूप से भुगतान किया जाता है, तो समर्पण मूल्य के 90% तक ऋण सुविधा प्रदान करता है। ऋण सुविधा (Loan) के लिए पात्र होने के लिए पॉलिसी को एक समर्पण मूल्य भी प्राप्त करना चाहिए था।

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टर्म इंश्योरेंस खरीदना 30 फीसदी तक महंगा होगा, अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं कंपनियां

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टर्म इंश्योरेंस खरीदना 30 फीसदी तक महंगा होगा, अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं कंपनियां.

टर्म इंश्योरेंस खरीदना एक बार फिर महंगा हो सकता है। बीमा कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम में 25% से 30% की बढ़ोतरी की तैयारी में है। बीमा कंपनियों से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।  मिली जानकारी के अनुसार आठ से 10 कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम में इस साल के अंत से बढ़ोतरी की योजना बनाई है। इस बार प्रीमियम में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

वहीं, पहले से लिए टर्म प्लान के प्रीमियम पर कंपनियों ने 30% से 40% की बढ़ोतरी कर दी है। गौरतलब है कि इससे पहले भी बीमा कंपनियों ने मार्च में पॉलिसी की नवीकरण पर चार से पांच फीसदी अधिक प्रीमियम वसूला था। इस तरह एक साल में दूसरी बार बीमा कंपनियां टर्म इंश्योरेंस के प्रीमिमय में बढ़ोतरी करने जा रही है।

क्यों महंगा हो रहा टर्म इंश्योरेंस

टर्म इंश्योरेंस महंगा होने के बारे में बीमा कंपनियों का कहना है कि उन पर री-इंश्योरेंस कंपनियों का बेहद दबाव है। यही वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियों को प्रीमियम का पैसा बढ़ाना पड़ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि री-इंश्योरेंस की अंडरराइटिंग में सख्ती बरती गई है, जिससे इंश्योरेंस महंगा हो रहा है। कुछ अन्य जो बदलाव हो सकते हैं, उनमें बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों से इनकम प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकती हैं। अभी तक ऐसे कागजात नहीं मांगे जा रहे थे। कंपनियां मेडिकल चेकअप के शर्तों को भी सख्त कर सकती हैं।

कोरोना के चलते जोखिम बढ़ा

इंश्योरेंस अंडरराइटिंग के आधार पर इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करती हैं। अंडरराइटिंग में जितना जोखिम होगा, प्रीमियम उतना ही महंगा हो सकता है। कोरोना महामारी के चलते जोखिम बढ़ा है। इसलिए कंपनियों का कहना है कि उनके पास प्रीमियम बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। गौरतलब है कि कोरोना से हुए लाखों लोगों की आकस्मिक मौत के कारण बीमा कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। इसको देखते हुए बीमा कंपनियों ने प्रीमियम में बढ़ोतरी का फैसला किया है।

Source:

नई दिल्ली,
(अपडेटेड Fri, 01 Oct 2021 11:24 AM)

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कोरोना से मौत के मामलों में सिर्फ 14% के पास था बीमा, इलाज में खत्म हुई लोगों की जमापूंजी

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कोरोना से मौत के मामलों में सिर्फ 14% के पास था बीमा, इलाज में खत्म हुई लोगों की जमापूंजी

देश में कोरोना से अब तक करीब 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इसमें से बीमा कवर मात्र 14% के पास ही था

देश में बीमा कवरेज का क्या हाल है इसका अंदाजा आपको कोरोना से मौत के मामलों में किए गए क्लेम से लग सकता है. देश में कोरोना से अब तक करीब 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इसमें से बीमा कवर मात्र 14% के पास ही था. वहीं कोरोना के इलाज में लोगों ने अपनी जीवनभर की बचत, जमा पूंजी, जमीन-जायदाद और गहने तक बेच दिए

55,276 लोगों को मिला बीमा क्लेम

देश में कोरोना से अब तक 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें से सिर्फ 55,276 मौतों के लिए ही बीमा क्लेम किया गया. यानी कोरोना से हुई मौत के करीब 14% मामलों में ही बीमा क्लेम किया गया. ये देश में बीमा कवरेज की हालात बयां करने के लिए काफी है.

3,593 करोड़ रुपये के क्लेम सेटल

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की सदस्य (गैर-जीवन बीमा) एल. अलामेलू का कहना है कि सभी बीमा कंपनियों के पास कोविड से मौत के कुल 55,276 क्लेम आए, इसमें से करीब 88% यानी 48,484 मामलों में 3,593 करोड़ रुपये के क्लेम को सेटल किया जा चुका है.

हेल्थ इंश्योरेंस में 15,000 करोड़ के क्लेम

वहीं दूसरी तरफ हेल्थ इंश्योरेंस कैटेगरी में 22 जून तक कंपनियों को 19.11 लाख क्लेम हासिल हुए. इसमें से करीब 80% यानी 15.39 लाख से अधिक 15,000 करोड़ रुपये के बीमा दावों का निपटारा किया जा चुका है. ये दावे मेडिकल इंश्योरेंस या हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े हैं.

मात्र 4% दावे हुए खारिज

हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में मात्र 4% और जीवन बीमा के मामले में मात्र 0.66% दावे ही खारिज हुए. ये लगभग नगण्य स्थिति है.

खत्म हुई जीवनभर की बचत

अलामेलू कहती हैं कि एक तरफ देश में कोरोना से मौत के मामलों के इतने कम दावे आए. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के इलाज में लोगों की जीवनभर की बचत खत्म हो गई, गहने, जमीन-जायदाद बिक गए. इसमें गरीबी रेखा से नीचे वाले लोग भी शामिल हैं.

ऐसे में ये दिखाता है कि देश में बीमा उत्पादों की कितनी जरूरत है. और बीमा कंपनियों के पास कितना बड़ा अवसर है.

अलामेलू का कहना है कि बीमा उद्योग और नियामक दोनों ने इस मुश्किल वक्त की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसियां डिजाइन कीं. यहां तक कि पॉलिसी धारकों के लिए कुछ प्रक्रियाओं को भी आसान किया गया.

बीते साल हेल्थ और जीवन बीमा को मिलाकर इंश्योरेंस सेक्टर ने 9% की ग्रोथ दर्ज की थी, जबकि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में ये 17% है.

कंपनियां बरत रही सावधानी

लेकिन जैसे-जैसे देश में कोरोना की मौतों की संख्या बढ़ रही हैं. बीमा कंपनियां नए बीमा देने को लेकर चौकन्नी हो गई हैं. वो ग्राहकों से वैक्सीन प्रमाणपत्र और मेडिकल चेक-अप जैसी जानकारियां मांग रही हैं.

 

Source:

नई दिल्ली,
25 जून 2021,
(अपडेटेड 25 जून 2021, 7:00 PM IST)

Body Immunity: इस तरह पता करें अपनी इम्यूनिटी, स्ट्रॉन्ग है या कमजोर

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Body Immunity: इस तरह पता करें अपनी इम्यूनिटी, स्ट्रॉन्ग है या कमजोर

अगर हमारी इम्यूनिटी मजबूत है तो हमारा शरीर कई तरह के रोगों से बच सकता है. इम्यूनिटी बीमारियों से लड़ने के लिए जरूरी है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है या कमजोर?

कोरोना की दूसरी लहर उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है. डॉक्टर और वैज्ञानिकों का कहना है कि इम्यू‍निटी कमजोर होने पर कोरोना का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है. जिन लोगों की इम्यूनिटी दुरुस्त है वो जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं. अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी है तो हमें कई बीमारियों से बचा कर रखती है. सफेद रक्‍त कोशिकाओं, एंटीबॉडीज और अन्‍य कई तत्‍वों से हमारा इम्‍यून सिस्‍टम बनता है. ऐसे में जिन लोगों का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होता है वो जल्दी बीमार पड़ते हैं. जब से कोरोना महामारी पूरी दुनिया में आई है तब से लोग अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रहे हैं. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल भी आ रहा है कि ये कैसे पता करें कि हमारा इम्यून सिस्टम दुरुस्त है या कमजोर? आइये जानते हैं कि आप कैसे इसका पता कर सकते हैं.

कैसे पता करें कि इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग है या कमजोर

⦁ अगर आपको जल्दी सर्दी, जुकाम, खांसी होती है और जल्दी बीमार पड़ते हैं तो समझ जाएं कि आपकी इम्यूनिटी कमज़ोर है.
⦁ कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग मौसम बदलते ही कुछ ना कुछ समस्या से परेशान हो जाते हैं.
⦁ इसके अलावा अगर आपको कुछ खाने-पीने से जल्दी इंफेक्शन हो जाता है, तो भी आपकी इम्यूनिटी कमजोर है.

कमजोर इम्यूनिटी की पहचान 

  • आंखों के नीचे काले घेरे होना
    • सुबह जगने के बाद ताज़ा महसूस न करना
    • दिनभर एनर्जी लेवल कम लगना
    • किसी चीज़ में ध्यान नहीं लगाना
    • अक्सर पेट की समस्या रहना
    • स्वभाव में चिड़चिड़ाहट रहना
    • जल्दी बीमार पड़ जाना
    • जल्‍दी थक जाना और शरीर में ढीलापन रहना

स्ट्रॉंग इम्यूनिटी की पहचान 

⦁ स्ट्रॉंग इम्यूनिटी वाले लोग बिना दवा के ही कई तरह के संक्रमण और बीमारियों से अपने आप ठीक हो जाते हैं.
⦁ स्ट्रांग इम्यून सिस्टम वाले लोग वायरल और दूसरे कई तरह के इन्फेक्शन से खुद को बचा लेते हैं.
⦁ जिन लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रॉंग होती है उनको सर्दी-खांसी का जल्दी-जल्दी असर नहीं होता. इसके अलावा
⦁ स्ट्रॉंग इम्यूनिटी वाले लोगों के शरीर में अगर कहीं घाव या कोई चोट लगी है तो ये लोग जल्दी रिकवर करते हैं.

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या खाएं 

⦁ इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए आपको विटामिन सी से भरपूर फल जैसे ऑरेंज, कीवी, आम, अमरूद, और नींबू जैसे फल खाने चाहिए.
⦁ इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए गर्मियों में दही खाएं. दही विटामिन डी से फोर्टीफाइड होती है, जिससे इम्यून सिस्टम अच्छी तरह चलता है.
⦁ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आप ब्रोकोली खा सकते हैं इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाएं जाते हैं जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है.
⦁ कीवी में एंटी ऑक्सीडेंट्स और विटामिन ई की अच्छी मात्रा होती है. जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है.

Source: https://www.abplive.com/lifestyle/immunity-know-how-to-check-your-immunity-strong-or-immune-system-weak-here-best-immunity-boaster-foods-1910884

06 May 2021 06:25 PM (IST)

Covid-19 recovered patients not eligible for insurance for now?

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Attention! Covid-19 recovered patients not eligible for insurance for now?

The uncertainty around Covid-19 and developing strains and the rising claims are making insurers jittery about on-boarding Covid-19 patients. Although Covid-19 does not qualify as a chronic disease, the degree of scrutiny is greater for Covid-19 recovered patients.

The bad news around Covid-19 has no end. If you are someone who has recently recovered from Covid-19 and looking to to buy a life or a health insurance policy, you may not get it. The life and health insurers are adopting stringent underwriting norms for Covid-19 recovered patients. In most cases, they will have to wait for up to six months before their proposal form is accepted.

“Insurance companies are not sure of long-term effects of Covid-19. Different companies are taking different stance on people who have just turned Covid-19 negative. Some companies have a cool-off period of three months, others six months or for some no cool-off period at all. It depends on underwriting guidelines of an insurer,” says Amit Chhabra, head- Health Insurance, Policybazaar.com.

Health insurance
The policy proposer must be upfront and honest about Covid-19 history and submit relevant documents such as discharge summary (if hospitalised) and Covid-19 negative report. Even caregivers are supposed to declare it in the proposal forms. After you fill up the proposal form, the underwriting team comes back to you to fetch more details, if needed. Based on your health records the insurers take a call about accepting, rejecting or postponing the proposal form. In some cases, Covid-19 recovered patients may have to undergo medical tests as well.

“Medical tests will not be mandated just on the basis of a COVID-19 declaration. A customer is subjected to it depending on various factors such as age/sum insured opted for/ any pre-existing conditions etc. Having said that, insurers may further refine the tests that COVID recovered patients may be subjected to, if need be,” says Sanjay Datta, Chief-Underwriting, Claims and Reinsurance, ICICI Lombard General Insurance.

He points out it is hard for anyone to put an “x” number of days as cool-off period for the novel Covid-19 disease. “COVID-19 is known to have long terms side-effects affecting major organs such as the lungs, heart etc. With the advent of the second wave, even the medical fraternity is gradually learning about new long-term implications of the disease which were not seen to a large extent in the first wave,” says Datta.

Star Health & Allied Insurance, which has no cool-off period for Covid-19, says insurance industry needs to be more inclusive to increase penetration of health insurance. “We have no special criteria to cover Covid-19 recovered patients. The problem is many insurance companies do not engage with qualified medical doctors in underwriting areas. Our underwriting team comprises a highly qualified expert panel. We have studied the data. We are convinced that without any compromise we are willing to cover people who were diagnosed with Covid-19. They just have to declare it and submit discharge summery,” says Dr. S. Prakash, Managing Director, Star Health and Allied Insurance.

Life Insurance

Life insurers are much more stringent in underwriting processes due to life policies being a long-term contract. They are not even considering the proposal form before the cool-off period ends or if they are, they are loading the premium. Industry sources inform HDFC Life has a waiting period of 60 days, while at Max Life it is 90 days.

“For recovered patients, if they have a history of COVID hospitalisation in the last three months or if they were home quarantined in the last 30 days, the waiting period is a minimum of three months,” says Kamlesh Gupta, Appointed Actuary, Aegon Life Insurance.

He further cautioned that one should maintain the medical records of the COVID diagnosis. As records for all tests and treatments are important to prove the Covid recovery for policy eligibility. “Also, it is important to maintain the COVID 19 vaccination details. Due to the uncertain nature of COVID 19, there can be additional medical tests required to rule out medical risks as required by the Underwriter,” he says.

The uncertainty around Covid-19 and developing strains and the rising claims are making insurers jittery about on-boarding Covid-19 patients. Although Covid-19 does not qualify as a chronic disease, the degree of scrutiny is greater for Covid-19 recovered patients.

Sajja Praveen Chowdary, Head – Life Insurance, Policybazaar.com emphasises there is nothing unusual about introducing cool-off period for Covid-19 patients. “Life insurers always ask you if you have had a severe disease in the last six months. Earlier most people were answering no to the question. Now a lot of people are declaring having been Covid-19 positive. As a result, more and more people are falling in this category,” says Praveen.

Source: https://www.businesstoday.in/money/insurance/attention-covid-19-recovered-patients-not-eligible-for-insurance/story/438262.html

May 5, 2021 | UPDATED 13:10 IST

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